tag:blogger.com,1999:blog-4241891550939854616.post7321348123429470558..comments2023-12-31T11:35:02.746+05:30Comments on वाणी प्रकाशन: पाकिस्तान डायरीvanihttp://www.blogger.com/profile/08478648580205146011noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4241891550939854616.post-44533102465671186972012-06-26T04:40:59.006+05:302012-06-26T04:40:59.006+05:30यदि अच्छी किताबें सरकारी लिएब्ररियों की शोभा नहीं...यदि अच्छी किताबें सरकारी लिएब्ररियों की शोभा नहीं बढ़ातीं तो आज भारत जितना शिक्षित है, उतना भी नहीं हो पता. जिन 'गिने चुने' लोगों की आप बात कर रहे हैं, वह इस देश का भविष्य, यानी छात्र गन हैं. तथा कथित 'सामने वाला' इंसान तथा कथित 'बड़ी दुकानों' में जा कर बड़ी ब्रांड के महंगे कपडे तो खरीदता है, पर उस लेखक, प्रकाशक, संपादक के बारे में नहीं सोचता जिसकी तथा कथित 'महँगी' किताब खरीदने के लिए उसे जेब पर कसाव महसूस होता है. किताबें हैं जनाब, महनत से बनती हैं.vanihttps://www.blogger.com/profile/08478648580205146011noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4241891550939854616.post-47505040660083602412012-06-14T00:03:50.836+05:302012-06-14T00:03:50.836+05:30कृपया मेरी इस बात पर ध्यान दें और एक बात यदि आपके ...कृपया मेरी इस बात पर ध्यान दें और एक बात यदि आपके प्रकाशन की दुकान से कोई किताब ली जाती है तो उस पर नाम मात्र के लिेए रियायत दी जाती है जबकि उसी किताब की कीमत किसी अन्या बड़ी दुकान से ली जाती है तो वहां उसी किताब पर 30 से 35 प्रतिशत की छूट दी जाती हैतिरछी नज़र सेhttps://www.blogger.com/profile/13983833006653195187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4241891550939854616.post-91000267808790261822012-06-13T23:59:06.829+05:302012-06-13T23:59:06.829+05:30अब आप लोग अच्छे लेखकों की किताब तो छाप देते हो, मग...अब आप लोग अच्छे लेखकों की किताब तो छाप देते हो, मगर इतनी कीमत रखते हो कि सामने वाला इंसान उसे ले ही नहीं पाता है और फिर ये किताबे सिर्फ सरकारी लाइब्रेरी कि ही शोभा बढ़ाती हैं। जहां इन्हें गिने चुने लोग ही देखते हैं।तिरछी नज़र सेhttps://www.blogger.com/profile/13983833006653195187noreply@blogger.com