Book : Teesari Taali
Author : Pradeep Sourabh
Publisher : Vani Prakashan
Price : 350(HB)
ISBN : 978-93-5000-502-6
Total Pages : 195
Size (Inches) : 5X8
Category : Novel
Author : Pradeep Sourabh
Publisher : Vani Prakashan
Price : 350(HB)
ISBN : 978-93-5000-502-6
Total Pages : 195
Size (Inches) : 5X8
Category : Novel
पुस्तक के संदर्भ में सुधीश पचौरी के विचार....
"यह उभयलिंगी सामाजिक दुनिया के बीच और बरक्स हिजड़ों, लौंडों, लौंडेबाजों, लेस्बियनों और विकृत-प्रकृति की ऐसी दुनिया है जो हर शहर में मौदूद है और समाज के हाशिये पर जिन्दगी जीती रहती है । अलीगढ़ से लेकर आरा, बलिया, छपरा, देवरिया यानी 'एबीसीडी' तक, दिल्ली से लेकर पूरे भारत में फैली यह दुनिया समान्तर जीवन जीती है। प्रदीप सौरभ ने इस दुनिया के उस तहखाने में झाँका है, जिसका अस्तित्व सब 'मानते' तो हैं लेकिन 'जानते' नहीं । समकालीन 'बहुसांस्कृतिक' दौर के 'गे', 'लेस्बियन', 'ट्रांसजेंडर' अप्राकृत-यौनात्मक जीवन शैलियों के सीमित सांस्कृतिक स्वीकार में भी यह दुनिया अप्रिय, अकाम्य, अवांछित और वर्जित दुनिया है । यहाँ जितने चरित्र आते हैं वे सब नपुंसकत्व या परलिंगी या अप्राकृत यौन वाले ही हैं । परिवार परित्यक्त, समाज बहिष्कृत-दण्डित ये 'जन' भी किसी तरह जीते हैं। असामान्य लिंगी होने के साथ ही समाज के हाशियों पर धकेल दिए गये, इनकी सबसे बड़ी समस्या आजीविका है जो इन्हें अन्तत: इनके समुदायों में ले जाती है। इनका वर्जित लिंगी होने का अकेलापन 'एक्स्ट्रा' है और वही इनकी जिन्दगी का निर्णायक तत्त्व है । अकेले-अकेले बहिष्कृत ये किन्नर आर्थिक रूप से भी हाशिये पर डाल दिये जाते हैं। कल्चरल तरीके से 'फिक्स' दिये जाते हैं । यह जीवनशैली की लिंगीयता है जिसमें स्त्री लिंगी-पुलिंगी मुख्यधाराएँ हैं जो इनको दबा देती हैं। नपुंसकलिंगी कहाँ कैसे जिएँगे ? समाज का सहज स्वीकृत हिस्सा कब बनेंगे ? फर्राटेदार पाठ देता 'मुन्नी मोबाइल' के बाद प्रदीप सौरभ का यह दूसरा उपन्यास 'तीसरी ताली' लेखक की जबर्दस्त पर्यवेक्षण-क्षमता का सबूत है । यहाँ वर्जित समाज की फुर्तीली कहानी है, जिसमें इस दुनिया का शब्दकोश जीवित हो उठा है। लेखक की गहरी हमदर्दी इस जिन्दगी के अयाचित दुखों और अकेलेपन की तरह है । इस दुनिया को पढ़कर ही समझा जा सकता है कि इस दुनिया को बाकी समाज, जिस निर्मम क्रूरता से 'डील' करता है वही क्रूरता इनमें हर स्तर पर 'इनवर्ट' होती रहती है। उनकी जिन्दगी का हर पाठ आत्मदंड, आत्मक्रूरता, चिर यातना का पाठ है। यह हिन्दी का एक साहसी उपन्यास है जो जेंडर के इस अकेलेपन और जेंडर के अलगाव के बावजूद समाज से जीने की ललक से भरपूर दुनिया का परिचय कराता है।"
लेखक के संदर्भ में.....
प्रदीप सौरभ का जन्म कानपुर, उत्तरप्रेदश में हुआ । लम्बे समय तक इलाहाबाद में गुजारा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. किया । जनआन्दोलनों में हिस्सा लिया।कई बार जेल गये । इनका निजी जीवन खरी-खोटी हर खूबियों से लैस रहा । कब, कहाँ और कितना जिया,इसका हिसाब-किताब कभी नहीं रखा । कई नौकरियाँ करते-छोड़ते दिल्ली पहुँच कर साप्ताहिक हिंदुस्तान के सम्पादकीय विभाग से जुड़े। गुजरात दंगों की रिपोर्टिंग के लिए पुरस्कृत हुए। पंजाब के आतंकवाद और बिहार के बंधुआ मजदूरों पर बनी फिल्मों के लिए शोध। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 'मुन्नी मोबाइल' पर शोध ।
'वाणी प्रकाशन' को आप सभी से यह खुशखबरी साझा करते हुए बेहद प्रसन्नता हो रही है कि हमारे चर्चित और लोकप्रिय उपन्यासकार प्रदीप सौरभ को किन्नरों के जीवन पर आधारित उपन्यास 'तीसरी ताली' के लिए वर्ष 2012 का 18वां अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान, यू.के. द्वारा सम्मानित किया गया है । यह सम्मान प्रदीप सौरभ को लन्दन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में 28 जून,2012 दिया गया ।
'वाणी प्रकाशन' को आप सभी से यह खुशखबरी साझा करते हुए बेहद प्रसन्नता हो रही है कि हमारे चर्चित और लोकप्रिय उपन्यासकार प्रदीप सौरभ को किन्नरों के जीवन पर आधारित उपन्यास 'तीसरी ताली' के लिए वर्ष 2012 का 18वां अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान, यू.के. द्वारा सम्मानित किया गया है । यह सम्मान प्रदीप सौरभ को लन्दन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में 28 जून,2012 दिया गया ।
(बाएं से काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी, प्रदीप सौरभ, कैलाश बुधवार, विरेन्द्र शर्मा, तेजेन्द्र शर्मा, लॉर्ड किंग, सोहन राही)
(खड़े हुए बाएं से - आदिति महेश्वरी, काउंसलर के.सी. मोहन, फ़्रेंचेस्का ऑरसीनी, तेजेन्द्र शर्मा, दीप्ति शर्मा, मधु अरोड़ा, नीना पाल, कैलाश बुधवार।)
मीडिया रिपोर्ट
वर्ष 2012 का 18वां अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान, यू.के. द्वारा प्रदीप सौरभ को लन्दन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में 28 जून,2012 दिया गया। जनसत्ता अखबार में प्रकशित खबर
http://epaper.jansatta.com/
अखबार, दैनिक भास्कर 14 अप्रैल, 2012 के अंक में प्रकशित
18वां अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान, यू.के
.http://epaper.bhaskar.com/ detail.php?id=134317&boxid= 41411858562&view=text& editioncode=194&pagedate=04/ 14/2012&pageno=8&map=map&ch= cph
अखबार, जनसत्ता 14 अप्रैल, 2012 के अंक में प्रकशित
18वां अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान, यू.के
http://epaper.jansatta.com/ 38132/Jansatta.com/14-April- 2012#page/7/1
अखबार, न्यू ऑब्ज़र्वर पोस्ट 13 अप्रैल, 2012 के अंक में प्रकशित
18वां अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान, यू.के
http://newobserverpost. blogspot.in/2012/04/18th- katha-uk-awards-2012-at-house- of.html
.http://epaper.bhaskar.com/
अखबार, जनसत्ता 14 अप्रैल, 2012 के अंक में प्रकशित
18वां अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान, यू.के
http://epaper.jansatta.com/
अखबार, न्यू ऑब्ज़र्वर पोस्ट 13 अप्रैल, 2012 के अंक में प्रकशित
18वां अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान, यू.के
http://newobserverpost.
13 मार्च, 2011, नवभारत टाइम्स
यह कहानी उन लोगों की है जिन्हें समाज के ज्यादातर लोग गिरी नजर से देखकर उनका मजाक उड़ाते हैं। सामाजिक हाशिए पर रहने वाले ऐसे लोग हैं : हिजड़े, लौंडे, लौंडेबाज वगैरह। ऐसे लोग हर शहर में मिल जाएंगे। उनकी अपनी अलग दुनिया है जिस पर भागमभाग में लगे लोगों का शायद ही ध्यान जाता हो। आम लोगों के लिए यह वजिर्त दुनिया है। समाज से लगभग बहिष्कृत और दंडितों जैसा जीवन जीने को मजबूर ये लोग अपनी रोजी-रोटी कमाने के चलते ही ऐसे समाजों का रूप ले लेते हैं। उनके बारे में सब मानते तो हैं पर जानते नहीं। लेखक ने अपनी पैनी नजर से ऐसे लोगों की दुनिया के अंधकार में झांकने की कोशिश की है।
तीसरी ताली'
प्रदीप सौरभ द्वारा लिखी गयी किन्नरों के जीवन पर आधारित कृति 'तीसरी ताली' को पाठकों और मीडिया ने बड़े जोर शोर से सराहा. कुछ प्रतिक्रियाओं को हम आपके समक्ष उपस्थित कर रहे हैं...यदि 'तीसरी ताली' आपने भी पढ़ी हो तो हमें जरूर बताएं कि आपको यह किताब कैसी लगी।
'तीसरी तली' का लोकार्पण समारोह
9 मार्च 2011, साहित्य अकादेमी
बाए से दाए: हिन्दी में नयी कहानी के रचनाकार श्री उदय प्रकाश, संपादक, पत्रकार व लेखक श्री प्रदीप सौरभ, वाणी प्रकाशन के प्रबंध निर्देशक श्री अरुण माहेश्वरी एवं हिन्दी साहित्य की जानी मानी आलोचक प्रो. निर्मला जैन।